श्री गम्भीरा पार्श्वनाथ मंदिर - डूंगरपुर
डूंगरपुर के घाँटी मोहल्ले में श्री गम्भीरा पार्श्वनाथ जी का भव्य जैन मंदिर स्थित है। ये प्राचीन मंदिर डूंगरपुर की स्थापना के साथ का है। आंतरी ग्राम के जैन मंदिर से प्राप्त विक्रम सम्वत 1525 (1468 ईसवी ) की प्रशस्ति के अनुसार इस मंदिर का जीर्णोद्धार महारावल सोमदास के शासन काल में डूंगरपुर के तत्कालीन मंत्री तथा ओसवाल धनिक सालाशाह द्वारा करवाया गया था।
एक किवदंती के अनुसार सालाशाह महारावल वीरसिह देव के समय हुवे थे तथा डुंगरिया भील द्वारा जबरन उनकी कन्या से विवाह करने की जिद पर सालाशाह द्वारा महारावल वीरसिह देव से सहायता मांगी गई थी तब महारावल वीरसिह देव द्वारा डुंगरिया भील का वध कर डूंगरपुर के इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया गया तथा ओसवाल सेठ सालाशाह को अपना मंत्री बनाया गया तथा सालाशाह द्वारा इस जैन मंदिर का निर्माण करवाया गया किन्तु आंतरी ग्राम के जैन मंदिर से प्राप्त विक्रम सम्वत 1525 ( 1468 ईसवी ) की प्रशस्ति इस कथा के कल्पित होने का स्पष्ट प्रमाण है। संभवत इस मंदिर का निर्माण सालाशाह के पूर्वजो द्वारा करवाया गया होगा।
जैन मंदिर की एक वेब साइट www.jainmandir.org के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सालाशाह द्वारा महारावल वीरसिह देव के समय करवाया गया था तथा उसी के वंशज सालाराज द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार विक्रम सम्वत 1525 ( 1468 ईसवी ) में करवाया गया जिनके द्वारा आंतरी ग्राम के जैन मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इस वेब साइट के अनुसार आंतरी जैन मंदिर की प्रशस्ति में सालाराज अंकित है। डूंगरपुर के प्रसिद्द इतिहासकार स्वर्गीय महेश पुरोहित जी ने अपनी पुस्तक में आंतरी गाँव के जैन मंदिर की प्रशस्ति में सालाशाह अंकित होने का उल्लेख किया है।
मंदिर में प्रवेश द्वार से ऊपर जाने वाली सीढ़ियों केआगे गोलाकार सभामंडप है जिसके चारो तरफ गुम्बद की छत से जुड़े कलात्मक तोरण है। फर्श में सफ़ेद संगमरमर में रंग बिरंगे मार्बल की जड़ाई से फूल पत्तिया निर्मित की गई है। सभामंडप के आगे ऊंचाई पर मुखमंडप स्थित है जिसमें कांच की नयनाभिराम पच्चीकारी युक्त कलात्मक स्तम्भ है। मुखमंडप के फर्श में भी अत्यंत सुन्दर मार्बल की जड़ाई का कार्य किया गया है। गर्भगृह के बाहर तीनो तरफ बने बरामदों में देवकुलिकाए निर्मित है। गर्भगृह में जैन तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की प्रतिमा स्थित है इसके आलावा श्री मुनिसुव्रत भगवान की श्वेत पाषाण की,श्री संभवनाथ जी की श्याम पाषाण की,श्री गौतम गणधर की श्वेत पाषाण की, श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ भगवान् की श्याम पाषाण की,श्री माणिभद्रयक्ष की श्वेत पाषाण की,श्री पद्मावती देवी की श्वेत पाषाण की,श्री नेमिनाथ भगवान की श्याम पाषाण की प्रतिमाये स्थित है। अनेक प्रतिमाओं की चरण चौकी पर लेख अंकित है।
जैन मंदिरो में निरंतर जीर्णोद्धार कार्य होने के कारण बाहर से ये मंदिर नवीन प्रतीत होता है किन्तु अंदर जाने पर मंदिर की प्राचीनता का अनुभव होता है।सम्पूर्ण मंदिर पारेवा पत्थर से निर्मित है। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख श्री जैन श्वेताम्बर बीसा पोरवाल सघ द्वारा की जाती है।
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