Saturday, 1 October 2016

गोरा धाय की छतरी। गोरा धाय। जोधपुर। महाराजा अजित सिंह। Gora Dhay ।

गोरा धाय

जोधपुर रेलवे स्टेशन से हाई कोर्ट के मार्ग में पुराने स्टेडियम के पास चोराहे पर अंसल प्लाजा के सामने स्थित रेलवे लाइन की दीवार से सटी एक छह खम्बो वाली पुरानी छतरी बनी हुई है जो की गोरा धाय की छतरी कहलाती है। गोरा धाय जोधपुर नरेश अजित सिंह जी की धाय माता थी।गोरा धाय मंडोर के गोपा गहलोत की धर्म पत्नी थी और उसका जन्म 1646 ईसवी में हुवा था। जोधपुर के इतिहासकार डा मोहनलाल गुप्ता जी की पुस्तक जोधपुर संभाग का जिलेवार सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अध्ययन पुस्तक के अनुसार  मारवाड़ के शासक महाराजा जसवंत सिंह जी की मृत्यु होने पर औरंगजेब ने मारवाड़ के सरदारों को झांसा देकर जसवंत सिंह जी की विधवा रानियों दिल्ली बुलवा लिया और मारवाड़ राज्य को खालसा कर लिया था।औरंगजेब अजित सिंह जी को मुसलमान बनाना चाहता था किन्तु उसके कुटिल इरादों को भाप कर वीर दुर्गादास राठोड और मुकंद दास आदि सरदारो ने  गोरा धाय की सहायता से 1679 ईसवी  में बालक अजित सिंह को सकुशल वहा से निकाल कर मारवाड़ ले आये और उसे सिरोही के कालन्द्री गाँव में छुपा  कर रखा बालक अजीत सिंह को दिल्ली से निकालने के लिए गोरा धाय ने मेहतरानी का स्वांग रचा था और युवराज को बचाने के लिए उसे अपने पुत्र की बलि देनी पड़ी थी। सन 1704 ईसवी में अपने पति की मृत्यु  होने पर गोरा धाय पति की चिता के साथ सती हो गई तब उसकी स्मृति में महाराजा अजीत सिंह जी ने 1711 ईसवी में छह खम्बो वाली इस कलात्मक छतरी का निर्माण करवाया था।समय के साथ छतरी जीर्ण शीर्ण अवस्था में हो गई तब कुछ वर्ष पूर्व इसका जिर्णोधार करवाया गया और इस छतरी के चारो तरफ एक लोहे का जंगला लगवाया गया  तथा इसके छह खम्बो में से एक के ध्वस्त हो जाने के कारण एक खम्बा नया लगवाया गया है तथा इसका मूल शिला लेख नष्ट हो जाने के कारण मूल पाठ का नया पत्थर लगवाया गया है। कोटि कोटि नमन है मारवाड़ राज्य के वंश की रक्षा करने वाली मातृ शक्ति को।आप कभी जोधपुर के हाई कोर्ट जाने वाले  मार्ग से निकले तो अंसल प्लाजा के सामने स्थित मातृ शक्ति की  छतरी के समक्ष शीश झुकाना मत भूलियेगा
जय जय ............शरद व्यास, 01 -10 -16  उदयपुर






















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