Saturday, 1 October 2016

गुलाब सागर, जोधपुर

गुलाब सागर, जोधपुर 

गुलाब सागर का निर्माण जोधपुर के नरेश विजय सिंह जी की पासवान गुलाब राय ने सन 1788 में करवाया था | कहते है की वहा स्थित प्राचीन बावड़ी पर इस जलाशय को बनवाया गय था और उस समय इसे बनवाने में अथाह धन का व्यय किया गया था| इसे बनवाने में 8 वर्षका समय लगा था| वर्तमान में जो गुलाब सागर दिखाई देता है उसका निर्माण दो भागो में हुवा था| गुलाब सागर में पुल के दूसरी तरफ एक  छोटा जलाशय  विभक्त रूप से दिखाई पड़ता है उसे गुलाब सागर का बच्चा कहते है और कहा जाता है की उसका निर्माण गुलाब राय के पुत्र शेर सिंह की स्मृति में 1835 में करवाया गया था| बच्चा जलाशय के पीछे गुलाब राय के महल है जिसके झरोखो में बड़ी सुन्दर नक्काशी का काम किया हुवा है और दीवार पर बड़ी सुन्दर चित्रकारी की गई है|

गुलाब सागर के दायी और लाल बाबा का बड़ा भव्य वैष्णव मंदिर है जिसके चारो कोनो में सुन्दर से झरोखों का निर्माण किया हुवा है| लाल बावा के मंदिर के पास में नाथ सम्प्रदाय के साधुओ का मंदिर है जिसे रिद्धराय जी का मंदिर कहते है जिसमे वर्तमान महंत सूरजनाथ जी से नाथो के इतिहास के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है|गुलाब सागर के बायीं और जोधपुर नरेश मान सिंह जी की भगवान् राम की अनन्य भक्त भटियानी रानी प्रताप कुंवरी द्वारा महाराज के स्वर्गवास के बाद चंद्रग्रहण के अवसर पर दान हेतु बनवाया हुवा राम मंदिर है जिसे रानी ने निरंजनी सम्प्रदाय के महंत मोतीराम को भेट कर दिया था किन्तु निर्माण के बाद ही वो मंदिर जमीन में धंस गया था और आज भी उसे धंसा हुवा मंदिर कहते है |

गुलाब सागर में जल की आवाक के लिए जोधपुर के नरेश जसवंत सिंह जी के छोटे भाई और मारवाड़ के तत्कालीन प्रधान मंत्री सर प्रताप ने अंग्रेज इन्जीनियर डब्ल्यू होम्स द्वारा बालसमंद झील से नहरों का निर्माण करवाया था जिसके कारण गुलाब सागर में पर्याप्त जल रहता था | वर्तमान में इस नाहर में जगह जगह अतिक्रमण होने के कारण अब ये केवल गंदे पानी का नाला बन कर रह गया है |

मित्रो मेरा आपसे निवेदन है की आप जब भी जोधपुर जाए तो समय निकाल कर गुलाब सागर इसके पास में बने महिला बाग़ झालरा, तुवर जी का झालरा, सागर पर बने लाल बाबा का मंदिर और उससे जुड़े नाथ सम्प्रदाय का रिद्धराय जी का मंदिर और दूसरी तरफ धंसा हुवा राम मंदिर और गुलाब सागर के सामने बने महल और महिला बाग़ को और पुरानी बालसमंद झील से आई नहर को  अवश्य देखे| इससे विस्मृत हो चुकी इन एतिहासिक धरोहरों को पुन प्रकाश में लाया जा सकता है और इनका संरक्षण किया जा सकता है | जय जय  
शरद व्यास, ०१-१०-१६, उदयपुर





















No comments:

Post a Comment