Monday, 5 December 2016

सीताराम जी का मंदिर, जोधपुर

सीताराम जी का मंदिर

जोधपुर के कबूतरों के चौक में स्थित सीताराम जी का मंदिर काफी पुराना है। पहले ये मंदिर कुंजबिहारीजी के मंदिर के नाम से जाना जाता था यहाँ कृष्ण भगवान् की मूर्ति विराजमान थी जिनके साथ हनुमानजी की भी प्राचीन मूर्ति थी मगर 1779 में तत्कालीन जोधपुर महाराजा अजित सिंह जी की पासवान गुलाब राय जो की परम वैष्णव और गोकुलिये गुसाईं की भक्त थी ने जोधपुर के कटला बाजार में कुन्ज बिहारीजी के नवीन मंदिर का निर्माण करवाया और यहाँ स्थित कुंज बिहारीजी की मूर्ति की वहां प्रतिष्ठा करवा दी तब काफी लंबे समय तक इस मंदिर में अकेले हनुमानजी की मूर्ति रह गई बाद में हनुमान जी के आराध्य देव श्री राम और सीता जी की मूर्ति की स्थापना यहाँ की गई।
काफी लंबे समय तक ये मंदिर जूना कुंजबिहारीजी के नाम से ही जाना जाता रहा बाद में इसे आमजन ने सीता राम जी के मंदिर के नाम से पुकारना प्रारम्भ किया ।

इस मंदिर में वर्षा जल को एकित्रत करने हेते भूमिगत कुंड बनवाया गया है जिसमे मंदिर की छत पर गिरने वाला सारा वर्षा जल नाली के माध्यम से मंदिर के चौक में होता हुवा जल कुंड में समाहित हो जाता था जिससे वर्ष पर्यन्त मंदिर की मूर्तियों को स्नान हेतु प्रयोग में लाया जाता था।

वर्तमान में ये मंदिर और मंडोर स्थित हनुमान जी का मंदिर कत्ल बजार स्थित कुंजबिहारीजी के मंदिर के अधीन और देवस्थान विभाग द्वारा संचालित है।

स्थानीय निवासियों द्वारा अनेक कार्यक्रमो का आयोजन यहाँ किया जाता है विशेषकर गवर के मेले, अन्नकूट, जन्माष्टमी आदि बड़े धूमधाम से मनाए जाते है। धींगा गवर जो की जोधपुर का प्रसिद्द मेला है कि भी यहाँ बड़ी रौनक रहती है।

स्थानीय निवासियों ने आर्थिक सहयोग कर मंदिर में एक वाचनालय और हाल का निर्माण भी करवाया है।

इस मंदिर से थोडा पहले ही जोधपुर शहर की सीमा समाप्त हो जाती थी । यहाँ जोधपुर नगर का प्राचीन परकोटा निर्मित था । हालांकि आज ये क्षेत्र जोधपुर के मध्य में स्थित है मगर कभी इस मंदिर के आगे सुनसान जंगल हुवा करता था।

जय जय ...शरद व्यास....जोधपुर....05:12:16

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