Wednesday 6 December 2017

जोधपुर की जूनी मंडी स्थित महल | तलहटी के महल | जोधपुर


जोधपुर की जूनी मंडी स्थित महल

जोधपुर में जूनी मंडी में बालकिशन लाल जी के मंदिर के सामने स्थित मंडी स्कूल के नक्काशीदार झरोखे बचपन से ही मुझे बड़े आकर्षक लगते है। आम जोधपुरी निवासी की तरह ये गुप्त तथ्य की इस स्कूल के नीचे एक सुरंग है जो की मेहरानगढ़ दुर्ग तक जाती है हमेशा से मन में एक कौतुहल और रोमांच पैदा करता था और न जाने कितनी बार इस सुरंग में से दुर्ग तक जाने का सीक्रेट प्लान दोस्तों के साथ कई बार बनाया गया मगर आम जोधपुरी की तरह कभी भी सुरंग में जा नहीं पाये।बाद में पता चला की सुरंग के दरवाजे तो दशको पहले ही बंद किये जा चुके है। मै लम्बे समय से इस महल की फोटोग्राफी करना चाहता था और जानना चाहता था की इस महल को किसने और कब बनाया था आखिरकार पिछले शनिवार को मैंने इस महल की खूबसूरती को को अपने कैमरे में सहेज ही लिया और डा मोहनलाल गुप्ता साहब की किताब से इसके बारे जानकारी भी जुटा ली।  

मेंहरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में स्थित इस महल का निर्माण सवाई राजा सुरसिंह जी (१५९५-१६१९) ने अपनी रानी सौभाग्य देवी के लिए करवाया था|इस महल में लाल घाटू के नक्काशीदार पत्थरो से बनाए गए झरोखे, गवाक्ष, जालिया की खूबसूरती देखते ही बनती है|इन महलो में बने झरोखो और छज्जो से राजा प्रजा को दर्शन दिया करते थे और रानिया द्वारा सार्वजनिक समारोहों पर निकलने वाले जुलूसो को देखने के लिए उपयोग में लिया जाता था| बाद में ये महल विधवा रानियों के रहने के लिए काम में लिए जाने लगे|कहते है की इसी महल में राजकोष (खजाना) रखा जाता था|इन महलो से मेहरानगढ़ दुर्ग तक एक सुरंग का भी निर्माण किया गया था जिसका संभवत आपातकाल में प्रयोग किया जाता होगा वर्तमान में इस सुरंग को बंद करवा दिया गया है|

कहते है की महाराजा मान सिंह जी ने राजा बनने पर जालोर से अपने साथ आये नाथ सम्प्रदाय के सन्यासियों को उनके लिए महामंदिर का निर्माण किये जाने तक इसी महल में रखा था| 

महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय द्वारा १९१२ में इस महल में जनसामान्य के लिए प्रथम राजकीय औषधालय की स्थापना की गई थी जिसे जसवंत डिस्पेंसरी कहा जाता था ये आज भी कार्यरत है| १९१२ में ही इस महल में एक बालिका विद्यालय की स्थापना की गई और एक अंग्रेज अफसर ह्युसन के नाम पर इसका नाम ह्युसन बालिका विद्यालय रखा गया था और आज भी ये ह्युसन मंडी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के नाम से संचालित है|महल के ३५ कमरे स्कूल के लिए काम में लिए जा रहे है| महल के उपरी भाग में स्कूल का पुस्तकालय है| लडकियों के स्कूल के पास ही लडको के लिए स्कूल का संचालन किया जा रहा है| 

वर्तमान में देख रेख के अभाव में ये महल जीर्ण शीर्ण होता जा रहा है| पुराने शहर के मध्य में इतने सुन्दर महल को एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है जरुरत है इसके महत्व को समझने की और इसका संरक्षण करने की|जय जय 

(शरद व्यास, १७ सितम्बर २०१६, उदयपुर)




























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