आइये अब बात करते है भरतपुर की (3)
जवाहर बुर्ज| लोहागढ़ दुर्ग | भरतपुर
जवाहर बुर्ज| लोहागढ़ दुर्ग | भरतपुर
लोहागढ़ दुर्ग में 8 बुर्जे तथा 40 अर्धचन्द्राकार बुर्जे बनी हुई है | इन बुर्जो में जवाहर बुर्ज और फ़तेह बुर्ज प्रमुख है जवाहर बुर्ज महाराजा जवाहर सिंह की दिल्ली विजय और फ़तेह बुर्ज 1805 में अंग्रेजो पर विजय के प्रतीक के रूप में बनाई गई थी | अन्य बुर्जो में सिनसिनी बुर्ज,भैसावाली बुर्ज,गोकुला बुर्ज,कालिका बुर्ज,बागरवाली बुर्ज, नवल सिंह बुर्ज आदि है| वर्तमान में जवाहर बुर्ज के संरक्षण का कार्य चल रहा है| इस बुर्ज पर एक धातु का स्तम्भ रोपित किया गया है जिसमे भरतपुर के सभी जाट नरेशो के नाम अंकित किये हुवे है| स्थानीय निवासियों के अनुसार जवाहर बुर्ज पर ही भरतपुर के नरेशो का राज्याभिषेक किया जाता था| बुर्ज के मध्य एक दो मंजिला भवन तथा बारहदरी बनी हुई है जो मुग़ल और राजस्थानी स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण है| बारहदरी की छत में पौराणिक कथाओं , प्रसंगों का तथा कृष्ण लीला का अद्भुत स्वर्ण चित्रांकन किया गया है जिसके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है| यहाँ से भरतपुर का और सुजान गंगा नाहर का विहंगम द्रश्य नजर आता है| जवाहर बुर्ज पर ऊपर चढ़ते ही बजरंगबली का मंदिर बना हुवा है | थोडा आगे जाने पर उधान विकसित किया गया है तथा आगे एक प्राचीन शिव मंदिर बना हुवा है जिसके समीप एक कुंवा बना हुवा है| इस दुर्ग के चारो तरफ खाई में जल की आवक मोती झील से होती है जिसे सुजान गंगा नामक नहर का निर्माण कर इस दुर्ग तक लाया गया था | मोती झील का निर्माण रुपारेल और बाणगंगा नदियों के संगम पर एक बाँध के निर्माण से निर्मित की गई है| भगवान् श्री राम
के अनुज लक्ष्मण जी को अपना कुलदेवता मानने वाले तथा भारत जी के नाम पर भरतपुर नाम
रखने वाले जाट नरेशो के मिटटी से बने हुवे इस लोहागढ़ के बारे में एक कवि ने लिखा
है -
दुर्ग भरतपुर अड़ग
जिमि, हिमगिरी की चट्टान
सूरजमल के तेज को
, अब लौ करत बखान
जय जय .....शरद
व्यास
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