Saturday, 28 April 2018

समिधेश्वर मन्दिर - चित्तौडगढ - Samidheshwar Temple - Chittorgarh

समिधेश्वर मन्दिर - चित्तौडगढ
मध्यकालीन भारत की स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है #चित्तौडगढ का #समिधेश्वरमंदिर इसका निर्माण मालवा के प्रसिद्द परमार शासक #राजाभोज ने 11 वी सदी में करवाया था| भोज के विरुद त्रिभुवननारायण पर इसे त्रिभवननारायण का मंदिर तथा भोजजगती भी कहा जाता था| गुजरात के सोलंकी राजा कुमारपाल ने 1150 इसवी में अजमेर के शासक अर्नेराज (आनोजी) चौहान को परास्त करने के बाद चित्तौड़ को देखने आया था| उसने इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी तथा इस मंदिर को एक गाँव भी भेट किया था और वहा अपना शिलालेख लगाया था| महाराणा मोकल ने 1428 में इसका जीर्णोद्धार करवाया था जिससे सम्बंधित शिलालेख मंडप की पश्चिमी दीवार पर खुदा हुवा है जिसके कारण इसे मोकल जी का मंदिर भी कहते है| 

तीन प्रवेश दारो युक्त इस मंदिर में अर्ध मंडप, अलंकृत सभा मंडप, अंतराल तथा विशाल गर्भ गृह है| मंदिर के गर्भगृह में शिव जी की विशाल त्रिमुखी मूर्ति स्थापित है जो त्रिगुणों का, उनके तीन रूपों का प्रतीक है| मुख्य द्वार के सामने नदी विराजित है|मंदिर के बाहर अलौकिक मूर्तिया शिल्पांकित की गई है जिन्हें देख कर आप अभिभूत रह जाते है|मंदिर के समीप एक मठ और गौमुख कुंड बना हुवा है जिसमे पवित्र अविरल जल धारा गौमुख से वर्षपर्यंत उसके नीचे बने शिवलिंग पर गिरती रहती है| आप एक बार इस मंदिर को अवश्य देखिएगा यहाँ ईश्वर स्वयं निवास करते है|....जय जय

































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