जावर से प्राप्त गणेश जी की प्रतिमा
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के सिटी पैलेस स्थित
संग्रहालय के मूर्तियों के संग्रह में क्रम संख्या 44 पर जावर से प्राप्त गणेश जी
प्रतिमा रखी हुई है| इस प्रतिमा की उंचाई 119 सेंटीमीटर है जिस पर नीचे की तरफ अंकित शिलालेख के अनुसार यह प्रतिमा
1523 इसवी में महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) के शासन काल में बनवाई गई थी
और इसकी प्राण प्रतिष्ठा योगिनिपुर अर्थात जावर में की गई थी|
सफ़ेद संगमरमर से बनी इस मूर्ति पर सम्पूर्ण गणेश
परिवार को उकेरा गया है| गणेशजी दोनों पत्निय रिद्धि और सिद्धि उनकी जंघाओं
पर विराजित है| प्रतिमा में अंकित रिद्धि गणेशजी को मोदक खिला रही
है तथा सिद्धि चंवर डूला रही है|गणेश के चार हाथ अंकित किये
गए है जिसमे दो हाथ रिद्धि सिद्धि को थामे हुवे है तथा अन्य दोनों हाथो में फरसा
और पदम् धारण किया हुवा है| गणेश जी के पैरो के समीप
उनके दोनों पुत्र क्षेमकरण और लाभ को
उकेरा गया है| तहत बाए पैर के नीचे गणेश जी के वाहन मूषकराज को मोदक
खाते हुवे अंकित किया गया है|
गणेश की ये भव्य प्रतिमा जावर के किस मंदिर में
स्थापित थी इस सम्बन्ध में कोई विवरण नहीं प्राप्त होता है और णा’ ही गणेश जी का
कोई मंदिर जावर में दिखाई देता है| स्थानीय निवासियों के
अनुसार ये प्रतिमा जावर माता के मंदिर में रखी हुई थी तथा कुछ इसे पुरानी जावर में
रखी होना मानते है|
मित्रो यदि मौका मिले तो एक बार जावर अवश्य जाइयेगा,
यहाँ दबा हुवा पुरातन खजाना आपका इन्तजार कर रहा है|......जय जय जावर ...शरद
व्यास -30.05.18- उदयपुर
आलेख स्रोत – जावर का इतिहास . डा अरविन्द कुमार
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