Wednesday, 30 May 2018

जावर - चांदी की नगरी -उदयपुर -

जावर - चांदी की नगरी 

उदयपुर से 38 किलोमीटर दूर उदयपुर अहमदाबाद मार्ग पर स्थित एक अद्भुत नगर जंहा मिले जस्ते के अयस्क के प्रगलन की वैज्ञानिक  विधी ईसा से सैकड़ो साल पहले यहा के निवासियों ने सिख ली थी जो कि अपने आप मे एक अजूबा या आश्चर्यजनक घटना थी। जस्ते जैसी वाष्पशील धातु जिसके प्रगलन हेतु 1000 सेंटीग्रेड के तापमान की आवश्यकता होती है और  जिसका क्वथनांक 913 सेंटीग्रेड होता है ऐसी धातु को प्राप्त करना सचमुच में पारस पत्थर की खोज करना थी । सच मे यदि तांबे और जस्ते के मिश्रण में यदि जस्ते की मात्रा थोड़ी बढ़ा दी जाए तो वो पीतल सोने जैसा प्रतीत होता है। उस पर यंहा के निवासियों ने उसे हड़प्पा वालो को निर्यात भी किया जिससे उन्होंने प्राप्त जस्ते में ताँबा मिला कर पीतल बना लिया। बाद में यही से जाने वाले जस्ते के कारण यूरोप की औधोगिक क्रांति में पीतल की भारी भरकम मशीने भी बनी।

जावर की इन्ही खदानों और खोज ने इसे ईसा पूर्व इंडस्ट्रियल हब बना दिया था। हजारो वणिक यहां बसे और जावर एक समृद्धशाली नगर के रूप में विकसित हो गया। धन के साथ धर्म भी फला फुला और देखते ही देखते सैकड़ो भव्य मंदिरो का निर्माण हुवा। जावर के इसी ऐश्वर्य ने दिल्ली के सुल्तानों को और मुगल बादशाओ को यहां आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया। मेवाड़ के महाराणाओं समृद्धि का गुप्त सूत्र जावर की खदाने ही थी जो सम्पूर्ण मेवाड़ के राजस्व का आधा भाग थी।अत्याधिक दोहन, उस काल मे खनन की वैज्ञानिक तकनीकों का अभाव फलस्वरूप खनन महंगा सौदा बन गया,  हमेशा आक्रमण का भय तथा संभवत कुछ प्राकृतिक आपदाओं यथा धूलभरी आंधिया जिससे मिट्टी का जमाव बढ़ता गया जैसे कारणों के  चलते जावर में खनन बंद होने लगा होगा और लोगो ने पलायन किया होगा। खान तो फिर शुरू हो चुकी है और विश्व की सिरमौर खानों में से एक है मगर उस प्राचीन समृद्धशालो नगर के अवशेषों के रूप में केवल वो मिट्टी की मूषाये बची है जिनमे जस्ते का प्रगलन किया जाता था, बचे है केवल  दो दर्जन मंदिर , एक पुराना किला, महाराणा प्रताप की शरण स्थली रही पर्वत पर बनी गुफा और वो वृक्ष जिसके नीचे महाराणा अपने साथियों के साथ मुगलो से लोहा लेने की रणनीति तय किया करते थे शेष बचे है। मगर जो शेष बचा है वो पुरातन भी हमे गौरवान्वित करने वाला है। जरूरत है उसे बचाने की संरक्षित करने  की, देखने और दिखाने की। तो आप कब आ रहे है जावर ???
जय जय.....शरद व्यास

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