जावर माता के सामने स्थित महादेव का मंदिर -

जावर माता के मंदिर के सामने की तरफ टीडी नदी की उस पार एक प्राचीन भव्य महादेव का मंदिर स्थित है | इस मंदिर को किसने और कब बनवाया इस सम्बन्ध में मुझे किसी इतिहास कि पुस्तक या स्थानीय निवासियों से कोई स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई| मंदिर के मुख्य पुजारी के पुत्र ने बताया की मंदिर को सोमेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से जाना जाता है| मंदिर के सभामंडप में गर्भगृह के बाहर स्थित दोनों स्तंभों पर शिलालेख उत्कीर्ण है जिसे मै पढ़ नहीं पाया मगर इस पोस्ट में उनके फोटोग्राफ संलग्न है अगर आप पढ़ सके तो मुझे भी बताइयेगा किसी ने मुझे बताया की वो संभवत तीर्थ यात्रा करके आने वाले स्थानीय लोगो के लेख है जिसमे से एक महाराणा उदय सिंह द्वितीय के समय का है |
मुख्य मंदिर अपने सभी अंगो के साथ मौजूद है | मंदिर 12 वी से 14 वी शताब्दी के मध्य निर्मित हुवा प्रतीत होता है| मंदिर के गर्भगृह का तल काफी नीचे है जैसा की अनेक शिव मंदिरों में पाया जाता है| गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग जो की संभवत वहा स्थापित चट्टान को ही शिवलिंग के रूप में पूजा जा रहा है अत्यत प्राचीन प्रतीत होता है और ऐसा लगता है की शिवलिंग की पूजा मंदिर के निर्मित होने के काफी समय पहले से हो रही होगी और मंदिर का निर्माण बाद में करवाया गया है |शिवलिंग के पीछे देवी की प्रतिमा विराजित है|
गर्भ गृह की चौखट के ललाट के मध्य बिंदु पर गणेश भगवान् की प्रतिमा तथा उसके ऊपर देवी की प्रतिमा शिल्पांकित है| अन्तराल में बनी ताके खाली है |16 स्तंभों पर भव्य सभामंड़प बना हुवा है जिसके मध्य में नंदी की प्रतिमा विराजित है| सभामंडप के शिखर अन्दर से सादा है| सभामंड़प के आगे अर्धमंडप बना हुवा है|
मुख्य मंदिर के गर्भगृह की बाहरी दीवारों में बनी ताके खाली है संभवत वंहा स्थित सभी प्रतिमाओ की चोरी हो चुकी है| गर्भगृह का शिखा सही सलामत है किन्तु सभामंडप और अर्धमंडप के शिखर मरम्मत किये हुवे है जो की समय के साथ नष्ट हो गए होंगे|
मुख्य मंदिर के सामने श्री कार्तिकेय भगवान् और श्री गणेश भगवान् के लघु मंदिर स्थित है जिनकी मुर्तिया काले पत्थर की बनी हुई है जो की काफी बाद की बनी प्रतीत होती है| इस प्रकार मंदिर परिसर में सम्पूर्ण शिव परिवार मौजूद है| वर्तमान में मंदिर के जीर्णोधार का कार्य चल रहा है|
एक समय जावर में अनेक शैव मंदिर थे जिनमे सोमनाथ,बैधनाथ, नीलकंठ, खांडल आदि प्रमुख मंदिर थे तथा छोटे मोटे मंदिरों तो सैकड़ो की संख्या में थे| समय के साथ जावर की उगलने वाली जमीन में सबकुछ जमींदोज हो गया| भूमि की भी कितनी अद्भुत प्रकर्तिं है जो सब कुछ देती फिर वो ही सब कुछ वापस ले लेती है | जय जय जावर ......
शरद व्यास - 01.06.18 - उदयपुर
आलेख स्रोत -जावर का इतिहास - डा अरविन्द कुमार
एक समय जावर में अनेक शैव मंदिर थे जिनमे सोमनाथ,बैधनाथ, नीलकंठ, खांडल आदि प्रमुख मंदिर थे तथा छोटे मोटे मंदिरों तो सैकड़ो की संख्या में थे| समय के साथ जावर की उगलने वाली जमीन में सबकुछ जमींदोज हो गया| भूमि की भी कितनी अद्भुत प्रकर्तिं है जो सब कुछ देती फिर वो ही सब कुछ वापस ले लेती है | जय जय जावर ......
शरद व्यास - 01.06.18 - उदयपुर
आलेख स्रोत -जावर का इतिहास - डा अरविन्द कुमार

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