Thursday, 11 August 2022

सुमनोहरा बावड़ी। मंडोर। जोधपुर। रावण की चंवरी। राजस्थान की सबसे प्राचीन बावड़ी

राजस्थान की सबसे प्राचीन बावड़ी - सुमनोहरा

मारवाड़ की मरुस्थलीय भूमि और विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जीवन का सातत्य बनाये रखने के लिए यहाँ के निवासियों को जल की एक एक बून्द का महत्त्व हमेशा से भली भांति ज्ञात था इसलिए जल संचयन हेतु उपयुक्त प्रत्येक भूमि स्थल पर यहाँ के शासको और स्थानीय निवासियों ने कुओ,बावड़ियों,झालरों,नाड़ियो, तलाइयो,जलाशयों,जोहड़ और खड़ीन का निर्माण करवाया। मेहरानगढ़ दुर्ग के निर्माण से पूर्व मारवाड़ राज्य की राजधानी मंडोर थी। 

वर्तमान मंडोर रेलवे स्टेशन के एकदम सामने की पहाड़ी पर स्थित है सुमनोहरा बावड़ी जो संभवत राजस्थान की सबसे प्राचीन बावड़ी है। सुमनोहरा बावड़ी का निर्माण यहाँ से प्राप्त शिलालेख के अनुसार चणाक के पुत्र माधु ने 685 ईसवी में करवाया था। शिलालेख के पाठ के अनुसार संसार में आसुधन आदि सारहीन है ,अतः यश प्राप्ति हेतु यह बावड़ी बनवाई गई है क्योंकि यश ही चरस्थायी वस्तु है। बावड़ी का जल मीठा और स्वादिष्ट होने के कारण इसका नाम सुमनोहरा रखा गया है। (स्रोत -मारवाड़ का पुरातत्व और स्थापत्य -डॉ महेंद्र सिंह तंवर )

राजस्थान की ज्ञात सबसे प्राचीन बावड़ी जयपुर के नगर नामक स्थान पर थी जो अब सुरक्षित नहीं रही इसलिए वर्तमान में मौजूद प्राचीन बावड़ियों में  से सबसे प्राचीन बावड़ी मंडोर में स्थित सुमनोहरा बावड़ी है। पहाड़ी को काट कर  बनायीं गई बावड़ी अंग्रेजी वर्णमाला के एल अक्षर की भांति दिखाई देती है। वर्तमान में जोधपुर में हुई अतिवृष्टि  के कारण बावड़ी के ऊपर तक जल आ गया है जिसके कारण बावड़ी दिखाई नहीं देती है। बावड़ी के ऊपर ही पहाड़ी पर एक शिलापट्ट पर शिव भगवान् के साथ सप्त मातृकाओं की मुर्तिया अंकित है जिसे स्थानीय लोग यहाँ रावण का विवाह मंदोदरी से होना मानते है तथा इस स्थल को रावण की चंवरी (विवाह की वेदी ) के नाम से पुकारते है। पौराणिक कथाओ के अनुसार मंडोर रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंडोर के शासक की पुत्री थी और मंडोर में ही राक्षसराज रावण का विवाह मंदोदरी से हुवा था।  

पुरामहत्व एवं पर्यटन की दृष्टि से ये बावड़ी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके पर्याप्त संरक्षण,प्रचार की आवश्यकता है। 

शरद व्यास 

जोधपुर 11.08.2022 




















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