मेनाल के मंदिर और जल प्रपात – चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़ से 90 किलोमीटर और बूंदी से तक़रीबन 70 किलोमीटर
दुरी पर कोटा चित्तौड़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित, धार्मिक श्रद्धा और प्रकृति के
सौदर्य का अद्भुत संगम है मैनाल| बरसाती नदी महानल के किनारे स्थित ये स्थल बारिश
के दिनों में स्वर्ग बन जाता है और महानल नदी के 120 फीट उंचाई से कठोर ग्रेनाईट
की चट्टानों पर गिरने वाले जलप्रपात का आनद लेने के लिए और कोटा
,बूंदी,चित्तौड़गढ़,भीलवाड़ा,उदयपुर के लोग उमड़ पड़ते है|प्राचीनकाल में शैव
सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र रहे मैनाल के महानालेश्वर मंदिर तथा अन्य मंदिरों का
स्थापत्य और मूर्तियों का शिल्पांकन अद्भुत है इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा
जाता है| माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2015
में आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मैनाल की तारीफ़ की
है|
मेनाल के बाहर लगे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के
प्रस्तर पर उत्कीर्ण लेख के अनुसार शिव को समर्पित महानाल का यह मंदिर चाह्मानो के
शासनकाल में शैवसम्प्रदाय का एक बड़ा केंद्र था जहां 11 वी शताब्दी में इस मंदिर का
निर्माण भूमिज शैली में किया गया था| बिजोलिया के शिलालेख (1170
इसवी) में इसे एक तीर्थ स्थान के रूप में उल्लेखित किया गया है| इस मंदिर की योजना में एक गर्भगृह,एक अंतराल, समवर्ण छत वाला एक रंगमंडप तथा
एक छोटे प्रवेश मंडप के साथ उसके सामने स्थित एक नंदी मंडप सम्मिलित है| मंदिर की बाह्य दीवारों पर उत्कीर्ण प्रतिमाये बनावट की उत्कृष्ट शैली का
प्रतिनिधित्व करती है| मुख्य मंदिर के उत्तर पश्चिम में स्थित दो अन्य
लघु मंदिर (लगभग आठवी शताब्दी) क्रमश गणेश अवं गौरी को समर्पित है| इस भव्य संरचना का निर्माण एक शैव मठ के उद्देश्य से किया गया था| जिसे घटपल्लवों से युक्त अलंकृत स्तंभों द्वारा सुसज्जित किया गया है| एक अभिलेख से विदित होता है की इस मठ का निर्माण चाहमान शासक पृथ्वीराज
द्वितीय के शासनकाल सन 1164 - 1169 इसवी में संत भावब्रम्हा के द्वारा 1169 में
किया गया था|झरने के उस पार बना एक अन्य शिव मंदिर चाहमान शासक
पृथ्वीराज द्वितीय की पत्नी सुहियादेवी द्वारा बनवाया गया था|
प्रसिद्ध इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा के अनुसार मैनाल
बेंगु के सरदार की जागीर का गाँव है |यहाँ श्वेत पाषाण का बना
हुवा महानालदेव का विशाल शिवालय मुख्य है और इसी के नाम से इस गाँव का नाम मैनाल
पड़ा है|मेनाल के मंदिरों का निर्माण चौहान शासको द्वारा करवाया गया था मंदिर के पास
दो मंजिला मठ बना हुवा है जिसकी दूसरी मंजिल के एक स्तम्भ पर अजमेर के चौहान राजा
पृथ्वीराज द्वितीय के समय का विक्रम संवत १२२६ का लेख खुदा है (माह अंकित नहीं है)
जिसके अनुसार इस मठ का निर्माण भावब्रम्ह मुनि द्वारा करवाया गया था|महानाल के मंदिर के आगे कई शिवमंदिर भग्नावस्था में पड़े है जो वहा के महंतो की
समाधियो पर बने हुवे प्रतीत होते है | यहाँ से कुछ अंतर पर (नाले
के दूसरी तरफ) पृथ्वीराज द्वितीय की रानी सुहवदेवी (रूठी रानी) के महल और उसी का
बनवाया हुवा सुहवेश्वर नामक शिवालय है जो विक्रम संवत १२२४ में बना था, ऐसा वहा के
लेख से ज्ञात होता है|
जय जय ......शरद व्यास 30-08-17
मेनाल के मंदिरों और जलप्रपात का वीडियो देखने के लिए कृपया
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे
https://www.youtube.com/watch?v=LrnxhqULQxU
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