त्रिवेदी जी के मूंग उडद के लड्डू - उदयपुर
वो उदयपुरी ही क्या जिसने त्रिवेदी जी के मुंग उड़द के लडडू न खाए हो| उदयपुर में विगत तीन पीढियों से त्रिवेदी जी के लडडू खाए जा रहे है| ये बात है तब की है जब भारत आजाद ही हुवा था और दुसरे शहरो की तरह उदयपुर भी परकोटे या शहरपनाह के अन्दर समाया हुवा था और शाम होते ही शहर के मुख्य दरवाजे बंद हो जाते थे और बाहर से आने वाले यात्री सूरजपोल दरवाजे के सामने बनी दरबार महाराणा फ़तेह सिंह जी की याद में उनके पुत्र महाराणा भूपाल सिंह जी द्वारा बनवाई गई सराय में ठहरा करते थे उस जमाने में हरीवल्लभ त्रिवेदी जी ने सूरजपोल चौराहे पर इस दूकान की नीव रखी और मुंग,उड़द, मोठ, गुंद के लडडू बना कर बेचने लगे और तब से आज तक जो भी सूरजपोल चौराहे पर आता है उनके लडडू खाए बैगर नहीं जाता है| सूरजपोल चौराहे पर उदयपुर होटल के समीप स्थित इस दूकान को आजकल हरिवल्लभ जी के पुत्र श्री दिग्विजय जी संभाल रहे है| और आज भी वो लडडूओ को स्वय तैयार करते है| | त्रिवेदी जी के लडडू देश विदेश में प्रसिद्द है |
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