आइये अब बात करते है भरतपुर की – (1)
लोहागढ़ दुर्ग – भरतपुर
बड़ा ही अलबेला शहर है भरतपुर जरा सा गवई मगर पूरी तरह से दबंग ...गारी तो मुह में पान की गिलोरी सी रहे जरा सी जगह मिली नहीं की पिच्च .......फिर भी प्रेम इतना गहरा .... खालिस भरतपुरी आपको देख कर झट से पहचान जाएगा की आपके मन में का चल रहो है ...हकदार को इज्जत पूरी मिले ...बेइज्जत के कपडे झट से उतार ले ..... सबकी फितरत अलग पर एक आवाज पे सब एक...कन्हिया के भगत लुट भी ले और लुटा भी दे पर गिरिराज की परिक्रमा पूरी करे| जहा एक और ब्रज मंडल कन्हेया के भगत है तो दुरी और उनकी पताका पर श्री लक्ष्मण जी सहाय लिखा रहता है जो भगवान् राम के अनुज थे और भरपूर जात नरेशो के कुलदेवता , अगर कोई मुझसे पूछे सही मायनों में हिन्दुस्तान का सबसे अभेद दुर्ग कौनसा है ? मै तपाक से जवाब दूंगा लोहागढ़ दुर्ग ....लार्ड लेक जैसे शत्रु सर के बाल नोच ले पर लोहागढ़ का बाल भी बांका न कर पाये...करे भी क्या जिसके हो स्वयं बाके बिहारी उसका क्या बिगाड़ ले कोई बाहरी ..फ़तेह हमेशा होती है लोहागढ़ की .... तोप के गोले दीवार पे लगे तो धस जाए और नीचे गिरे तो सुजान गंगा के पानी में फुस्स...मिटटी में कितना दम होता है ये भरतपुर वाले बहोत अच्छी तरह जानते है ...तो आइये कुछ बात करते है अब महाराजा सूरजमल के भरतपुर की ....जिसकी दहाड़ से तुर्कों के अंग कम्पन करते थे
लोहागढ़ दुर्ग – भरतपुर
बड़ा ही अलबेला शहर है भरतपुर जरा सा गवई मगर पूरी तरह से दबंग ...गारी तो मुह में पान की गिलोरी सी रहे जरा सी जगह मिली नहीं की पिच्च .......फिर भी प्रेम इतना गहरा .... खालिस भरतपुरी आपको देख कर झट से पहचान जाएगा की आपके मन में का चल रहो है ...हकदार को इज्जत पूरी मिले ...बेइज्जत के कपडे झट से उतार ले ..... सबकी फितरत अलग पर एक आवाज पे सब एक...कन्हिया के भगत लुट भी ले और लुटा भी दे पर गिरिराज की परिक्रमा पूरी करे| जहा एक और ब्रज मंडल कन्हेया के भगत है तो दुरी और उनकी पताका पर श्री लक्ष्मण जी सहाय लिखा रहता है जो भगवान् राम के अनुज थे और भरपूर जात नरेशो के कुलदेवता , अगर कोई मुझसे पूछे सही मायनों में हिन्दुस्तान का सबसे अभेद दुर्ग कौनसा है ? मै तपाक से जवाब दूंगा लोहागढ़ दुर्ग ....लार्ड लेक जैसे शत्रु सर के बाल नोच ले पर लोहागढ़ का बाल भी बांका न कर पाये...करे भी क्या जिसके हो स्वयं बाके बिहारी उसका क्या बिगाड़ ले कोई बाहरी ..फ़तेह हमेशा होती है लोहागढ़ की .... तोप के गोले दीवार पे लगे तो धस जाए और नीचे गिरे तो सुजान गंगा के पानी में फुस्स...मिटटी में कितना दम होता है ये भरतपुर वाले बहोत अच्छी तरह जानते है ...तो आइये कुछ बात करते है अब महाराजा सूरजमल के भरतपुर की ....जिसकी दहाड़ से तुर्कों के अंग कम्पन करते थे
जिनके बारे में बूंदी के राज कवि सूर्यमल मिश्रण ने लिखा था –
सहयो भले ही जट्टनी, जाय अरिष्ट अरिष्ट
जा पर तस विम्मल हुव, आमेरन को इष्ट
लोहागढ़ दुर्ग का निर्माण 1732-33 में प्रारम्भ हुवा था और 8 वर्ष तक चला | 2872 मीटर परिधि वाले इस दुर्ग में 34 बुर्ज थी ....दुर्ग के चारो तरफ 20 फीट गहरी और 250 चौड़ी चौड़ी खाई है दुर्ग के दो प्रमुख प्रेवश द्वार है उत्तर की और वाला द्वार अष्टधातु द्वार जिसे महाराजा जवाहर सिंह दिल्ली विजय के उपलक्ष्य में वहा से लाये थे तथा दक्षिण दिशा वाला द्वार चौबुर्जा कहलाता है| दुर्ग के दस प्रमुख द्वार है जिनके नाम क्रमश मथुरा पोल , वीर नारायण पोल ,अटलबंद पोल, नीम पोल, अनाह पोल ,कुम्हेर पोल , चाँद पोल , गोवर्धन पोल , जघीना पोल और सूरज पोल है |दुर्ग में दो प्रमुख बुर्ज है जवाहर बुर्ज तथा फ़तेह बुर्ज ....जवाहर बुर्ज में ऊपर एक लोह स्तम्भ लगा हुवा है जिसमे सभी जाट राजाओं के नाम खुदे हुवे है| सभी जाट राजाओं का राज्यभिषेक यही किया जाता था|दुर्ग के अन्दर किशोरी महल, महल ख़ास , मोती महल, कोठी खास, बिहारी जी का मंदिर, फौजदार हवेली, आदि जिनके बारे में अगली कुछ कड़ीयो में बात करते है भरतपुर की ... जय जय
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