सिंघवियो की छतरिया। अखेसाग़र तालाब । कायलाना रोड ।जोधपुर
जोधपुर में कायलाना तालाब जाने वाले रास्ते में
अखेसागर तालाब से एकदम पहले वन विभाग के मंडल कार्यालय के सामने और लेक व्यू रिसोर्ट के पीछे की तरफ गली के अन्दर स्थित है सिंघवियो की छतरिया। जंहा जोधपुर राज्य के
सेनापति और दीवान रहे वीर सिंघवीयो की तक़रीबन 5 - 6
छतरियां बनी हुई है।
अखेसागर तालाब का निर्माण जोधपुर के शासक
भीमसिंह जी के सेनापति सिंघवी अखेराज ने करवाया था।समीपवर्ती पहाड़ो से वर्षाकालीन नालो का पानी को रोक कर इस तालाब का निर्माण करवाया गया था। इस तालाब की गहराई 36 फ़ीट है। वर्तमान में इस तालाब के किनारे पर एक निजी रिसोर्ट बना हुवा है। रघुनाथजी के मंदिर के सामने स्थित अखेराज की छतरी की नक्काशी अद्भुत है। छतरी में कौड़ियों से पॉलिश की गई है। समीप ही सिंघवी परिवार के अन्य वीर पुरुषो की
छतरिया स्थित है।
जोधपुर के महाराजा भीम सिंह के राजगद्दी पर बैठने के उपरान्त उन्होंने राज्य के सभी संभावित दावेदारों की हत्या करवानी प्रारम्भ कर दी तब उनके छोटे भाई मानसिंह ने भाग कर जालोर के किले में शरण ली थी जिसे मारने के
लिए महाराजा ने अपने सेनापति अखेराज सिंघवी को भेजा था जिसने जालोर दुर्ग के चारो
तरफ घेरा डाला किन्तु अनेक महीनो तक घेरा डाले रखने के बावजूद सफलता नहीं मिलने पर
महाराजा ने क्रोधित होकर अखेराज सिंघवी को वापस बुला लिया तथा उन्हें कैद में डाल
दिया जन्हा उनकी मृत्यु हो गई| बाद में अखेसागर रालाब के किनारे उनकी भव्य
छतरी का निर्माण करवाया गया जो की वर्तमान में रघुनाथ जी के मंदिर के सामने स्थित है।
अखेराज सिंघवी की मृत्यु होने के उपरान्त महाराज भीमसिंह जी ने सिंघवी इंद्रराज को सेनापति बना कर जालोर
दुर्ग का घेरा डालने भेजा किन्तु जिस दिन सिंघवी इंद्रराज को विजय प्राप्त होते
दिखाई पड रही थी उसी दिन मारवाड़ से महाराज भीमसिंह जी के निधन का समाचार प्राप्त
हुवा तब अयास गुरु देवनाथ के समझाने पर सेनापति इन्द्रराज ने मारवाड़ राज्य के सबसे प्रबल दावेदार मानसिंह जी को जालोर दुर्ग से ससम्मान जोधपुर
लाने का निर्णय लिया और उन्हें मारवाड़ के सिंहासन पर बैठा दिया। महाराजा मान सिंह जी ने इन्द्रराज सिंघवी को आप सेनापति और मेहरानगढ़ दुर्ग का किलेदार बनाया।
राज्य में चलने वाले कूटनीतिक प्रपंचो के चलते महाराजा मान
सिंह जी के वफादार दिखने वाले पोकरण के ठाकुर सवाईसिंह जी और मानसिंह के गुरु आयास
देवनाथ के छोटे भाई भीमनाथ ने निरंतर षड्यंत्रों रच कर झूठे आरोपों द्वारा सिंघवी इन्द्राज को कैदखाने में डलवा दिया तथा बाद में इन्द्रराज सिंघवी और आयास गुरु देवनाथ की हत्या करवा दी। सिंघवी इन्द्राज की हत्या के उपरान्त महाराजा ने उनकी स्मृति में एक छतरी मेहरानगढ़ दुर्ग के पास बनवाई तथा दूसरी विशाल छतरी
अखेसागर तालाब के किनारे पर बनवाई।
बाद में यही पर सिंघवी
इंद्रराज के भाई गुलराज सिंघवी की तथा इंद्रराज के पुत्र और मारवाड़ के दीवान
फतेराज की भी राज्य के षड्यंत्रों के चलते ह्त्या होने के उपरान्त उनकी छतरिया भी यही बनवाई गई|
वर्तमान में ये स्थान आवासीय
कालोनी के रूप में तब्दील हो चूका है और मारवाड़ के सेनापति और दीवान रहे सिंघवी
वीर महापुरुषो की छतरिया जीर्ण शीर्ण अवस्था में है जिनके संरक्षण और जीर्णोधार की
तत्काल आवश्यकता है| एक छतरी बाड़े में
स्थित है तथा एक थोड़ी आगे मंदिर के पास में स्थित है। कुछ छतरिया लेक व्यू रिसोर्ट के परिसर में पीछे की तरफ स्थित है।
जोधपुर के वीर सपूतो सिंघवियो को शत शत नमन।
शरद व्यास ....उदयपुर
....13-05-18
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