गुरुशिखर – राजस्थान का सबसे ऊँचा शिखर – माउंट आबू
राजस्थान का सबसे उंचाई वाला पर्वत शिखर है गुरुशिखर
समुद्रतल से इसकी उंचाई 5650 फूट या 1722 मीटर है| विष्णु
भगवान् के अवतार माने जाने वाले दत्तात्रेय भगवान् की तपोस्थली कहलाता है गुरुशिखर
यंहा उनका भव्य मंदिर बना हुवः है जिसमे एक तरफ मंदिर तथा दूसरी तरफ गुफा में
स्थित उनकी धुनी है| मंदिर के ऊपर स्थित पहाड़ी पर भगवान् दत्तात्रेय की
चरण पादुकाये अंकित है| जिसके पास ही एक विशाल पीतल का घंटा है जिसके बारे
में वंहा स्थित शिलालेख के अनुसार वो विक्रम संवत 1411 में स्थापित किया गया था| चरण पादुका वाले तीन गुणा तीन फूट के मंदिर में बैठे पुजारीजी वंहा आने वाले
प्रत्येक श्रद्धालु का बड़े प्यार से स्वागत करते है तिलक लागाते है उन्होंने ही
मुझे बताया की पास स्थित पहाड़ी पर दत्तात्रेय भगवान् की माताजी का मंदिर है
|
गुरु शिखर आबू से तक़रीबन 15 किलोमीटर दूर है तथा
ओरिया ग्राम से 4 किलोमीटर ऊपर स्थित है| मंदिर के पीछे की तरफ भारत
के अन्तरिक्ष अनुसंधान केंद्र द्वारा स्थापित इन्फ्रा रेड दूरबीन स्थापित की गई है|
गुरुशिखर जाने से पहले मुझे दत्तात्रेय भगवान् के बारे में
कुछ भी नहीं पता था, इन्टरनेट पर खंगाला तो पंजाब केसरी की साईट के इस लिंक पर जो जानकारी मिली वो आप सभी के साथ शेयर कर रहा
हु|
हिंदू धर्म में भगवान
दत्तात्रेय को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एकरूप
माना गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री दत्तात्रेय भगवान विष्णु के छठे अवतार
हैं। वह आजन्म ब्रह्मचारी और अवधूत रहे इसलिए वह सर्वव्यापी कहलाए। यही कारण है कि
तीनों ईश्वरीय शक्तियों से समाहित भगवान दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल, सुखदायी और शीघ्र फल देने
वाली मानी गई है। मन, कर्म
और वाणी से की गई उनकी उपासना भक्त को हर कठिनाई से मुक्ति दिलाती है।
कहा जाता है कि भगवान
भोले का साक्षात् रूप दत्तात्रेय में मिलता है। जब वैदिक कर्मों का, धर्म का तथा वर्ण
व्यवस्था का लोप हुआ, तब
भगवान दत्तात्रेय ने सबका पुनरुद्धार किया था। हैहयराज अर्जुन ने अपनी सेवाओं से
उन्हें प्रसन्न करके चार वर प्राप्त किए थे।
पहला बलवान, सत्यवादी, मनस्वी, आदोषदर्शी तथा सह भुजाओं
वाला बनने का, दूसरा
जरायुज तथा अंडज जीवों के साथ-साथ समस्त चराचर जगत का शासन करने के सामर्थ्य का, तीसरा देवता, ऋषियों, ब्राह्मणों आदि का यजन
करने तथा शत्रुओं का संहार कर पाने का और चौथा इहलोक, स्वर्गलोक और परलोक
विख्यात अनुपम पुरुष के हाथों मारे जाने का।
एक बार माता लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती को
अपने पतिव्रत्य पर अत्यंत गर्व हो गया। भगवान ने इनका अहंकार नष्ट करने के लिए
लीला रची। उसके अनुसार एक दिन नारदजी घूमते-घूमते देवलोक पहुंचे और तीनों देवियों
को बारी-बारी जाकर कहा कि ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसूइया के सामने आपका सतीत्व कुछ
भी नहीं।
तीनों देवियों ने यह बात
अपने स्वामियों को बताई और उनसे कहा कि वे अनुसूइया के पतिव्रत्य की परीक्षा लें।
तब भगवान शंकर, विष्णु
व ब्रह्मा साधु वेश बनाकर अत्रि मुनि के आश्रम आए। महर्षि अत्रि उस समय आश्रम में
नहीं थे। तीनों ने देवी अनुसूइया से भिक्षा मांगी और यह भी कहा कि आपको निर्वस्त्र
होकर हमें भिक्षा देनी होगी।
अनुसूइया पहले तो यह
सुनकर चौंक गईं, लेकिन
फिर साधुओं का अपमान न हो इस डर से उन्होंने अपने पति का स्मरण किया और कहा कि यदि
मेरा पतिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु छ:-छ: मास के शिशु हो जाएं।
ऐसा बोलते ही त्रिदेव
शिशु होकर रोने लगे। तब अनुसूइया ने माता बनकर उन्हें गोद में लेकर स्तनपान कराया
और पालने में झूलाने लगीं। जब तीनों देव अपने स्थान पर नहीं लौटे तो देवियां
व्याकुल हो गईं। तब नारद ने वहां आकर सारी बात बताई। तीनों देवियां अनुसूइया के
पास आईं और क्षमा मांगी। तब देवी अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में कर
दिया।
प्रसन्न होकर त्रिदेव ने
उन्हें वरदान दिया कि हम तीनों अपने अंश से तुम्हारे गर्भ से पुत्र रूप में जन्म
लेंगे। तब ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, शंकर के अंश से दुर्वासा
और विष्णु के अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ। कार्तवीर्य अर्जुन (कृतवीर्य का
ज्येष्ठ पुत्र) के द्वारा श्रीदत्तात्रेय ने लाखों वर्षों तक लोक कल्याण करवाया
था। कृतवीर्य हैहयराज की मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र अर्जुन का राज्याभिषेक होने
पर गर्ग मुनि ने उनसे कहा था कि तुम्हें श्रीदत्तात्रेय का आश्रय लेना चाहिए, क्योंकि उनके रूप में
विष्णु ने अवतार लिया है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान
दत्तात्रेय गंगा स्नान के लिए आते हैं इसलिए गंगा मैया के तट पर दत्त पादुका की
पूजा की जाती है। भगवान दत्तात्रेय की पूजा महाराष्ट्र में धूमधाम से की जाती है।
उनको गुरु के रूप में पूजा जाता है।
गुजरात के नर्मदा में
भगवान दत्तात्रेय का मंदिर है जहां लगातार 7 हफ्ते तक गुड़, मूंगफली का प्रसाद अर्पित
करने से बेरोजगार लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
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