Friday, 25 May 2018

Ummed Bhawan Palace -Jodhpur - उम्मेद भवन पैलेस - जोधपुर

उम्मेद भवन पैलेस – विश्व के भव्यतम महलो में से एक महल  
जोधपुर का उम्मेदभवन पैलेस विश्व के भव्यतम महलो में से एक माना जाता है|यक़ीनन इस महल को द्देख कर आप एकबारगी स्तब्ध रह जाते है| इस भव्य महल का निर्माण जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेदसिंह जी करवाया था| इस महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जोधपुर में निरंतर पड़ने वाले अकालो से त्रस्त जनता को रोजगार उपलब्ध करवाना था| महल के निर्माण की नीव 18 नवम्बर 1929 को महाराजा उम्मेद सिंह जी द्वारा रखी गई थी तथा महल का निर्माण कार्य सन 1943 में जाकर पूर्ण हुवा| 26 एकड़ भूमि में फैले इस महल में 3.5 एकड़ भूमि में महल तथा 15 एकड़ भूमि में महल के चारो तरफ बगीचे का विकास किया गया है| महल के निर्माण में उस समय 1 करोड़ 21 लाख रुपियो का व्यय हुवा जो तत्कालीन समय में इस महल की लागत से बहोत ज्यादा माने गए थे किंतु महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जोधपुर की जनता को आकाल राहत रोज़गार कार्य प्रदान करना था|        


उम्मेदभवन पैलेस के निर्माण के लिए Henry vaughan lanchester को इसका आर्किटेक्ट नियुक्त किया गया जो की नई दिल्ली बसाने वाले Edwin Lutyens का समकालीन था| Lanchester ने महल का निर्माण तत्कालीन दिल्ली में बनी भव्य इमारतों की तर्ज पर विशाल डोम, बड़े बड़े कालम बना कर किया| महल के निर्माण की शैली को Indo Saracenic, Beaux Arts Style और Indo Deco Style का मिश्रण कह कर परिभाषित किया जाता है| महल के निर्माण में जोधपुर के सेंड स्टोन, मकराना के मार्बल पत्थर का तथा आंतरिक साज सज्जा के लिए बर्मा की टिक की लकड़ी प्रयुक्त की गई है|महल के इंटीरियर डेकोरेशन के लिए पोलैंड के J.S Norbin को नियुक्त किया गया था जिन्होंने महल के शाही कमरे में बड़े खुबसूरत भित्तिचित्रों का निर्माण किया था| महल के निर्माण में 2000 से 3000 स्थानीय लोगो को नियमित रूप से रोजगार दिया गया था|महल के निर्माण के लिए महाराजा ने रेलवे लाइन भी बिछवाई ताकि निर्माण सामग्री का परिवहन संभव हो सके|    

उम्मेदभवन पैलेस संभवत राजस्थान के सबसे नए और भव्यतम महलो में से एक है| महल में 347 कमरे है अनके हाल है| शाही कमरा, निजी बठक हाल, दरबार हाल,निजी स्वीमिग पूल मय स्पा सुविधा, 300 लोग भोजन कर सके इतना बड़ा बेंक्वेट हाल, निजी डाइनिंग हाल,निजी लाइब्रेरी,  टेनिस कोर्ट,  स्क्वेश कोर्ट, ब्लियर्ड रूम, बालरूम डांस हाल है| सबसे भव्य रचना इस महल की इसका मध्यवर्ती डोम (गुम्बद) है जिसके कारण ये महल दूर से दिखाई दे जाता है| इस भव्य डोम की उंचाई 103 फीट है| ये महल तत्कालीन समस्त आधुनिक सुविधाओं से युक्त महल था|ये महल जिस पहाड़ी पर बना है तथा जो सैंड स्टोन महल के निर्माण में प्रयुक्त किया गया है उसके पत्थर को स्थानीय भाषा मे छित्तर कहा जाता है, इसलिये इस महल को भी छित्तर पैलेस के नाम से जाना जाता है।
    

वर्तमान में उम्मेदभवन पैलेस तीन भागो में विभक्त है जिसमे एक भाग में पूर्व राज परिवार निवास करता है दुसरे भाग में पांच सितारा होटल संचालित है जो ताज ग्रुप आफ होटल्स द्वारा ताज उम्मेद भवन पैलेस जोधपुर के नाम से संचालित किया जा रहा है| तथा तीसरे भाग एक संग्रहालय संचालित किया जा रहा है| तथा बाहर एक भाग में विन्टेज कारो का भी प्रदर्शन किया गया है|

उम्मेदभवन पैलेस के संग्रहालय में राजपरिवार की तस्वीरों, पैलेस के निर्माण की सचित्र कहानी, पैलेस का माडल, विभिन्न प्रकार की घडियो को, हथियारों को, स्मृति चिन्हों को, राजपरिवार द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली वस्तुओ को तथा कुछ जंगली जानवरों को जिनकी खाल में भूसा भर कर प्रदर्शित किया गया है| दरबार हाल में बने भित्ति चित्र और मिनीएचर पेंटिंग्स भी प्रदर्शित की गई है |संग्रहालय पैलेस के आकार की तुलना में काफी छोटा प्रतीत होता है जो की उसके होटल तथा आवास होने के कारण अतिथियों की तथा पूर्व राजपरिवार की निजता और सुरक्षा की दृष्टि के मध्येनजर राजस्थान के अन्य महलो की तरह स्वाभाविक है|


इस महल का दुखद पहलु ये है की महल के निर्माण के 4 वर्ष बाद ही इसके निर्माता तत्कालीन महाराजा उम्मेदसिंह जी का स्वर्गवास हो गया| 1947 में भारत को आजादी मिलने के साथ राजाओं और रजवाडो के राज चला गया| सन 1952 में महाराजा उम्मेद सिंह के पुत्र हनुवंत सिंह जी का भी हवाई दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया| हनुवंत सिंह जी पुत्र श्री गजसिंह जी ने उम्मेदभवन पैलेस को सन 1971 में होटल में तब्दील कर दिया तथा एक भाग में पूर्व राजपरिवार निवास करता है|
तो आप कब जा रहे है विश्व के इस विशालतम और भव्य महल को देखने के लिए ?...................

शरद व्यास / 26.05.18/ शनिवार/ उदयपुर   



































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