अद्भुतजी का मंदिर - चित्तौडगढ #अद्भूतजीकामन्दिर
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में गोरा बादल की हवेली से आगे और सूरजपोल से थोडा पहले स्थित है प्राचीन अद्भुत जी का मंदिर, जो की अपने स्थापत्य और मूर्तियों के अद्भुत शिल्पांकन के कारण सचमुच में अद्भुत है|अद्भुत जी के मंदिर का निर्माण महराणा रायमल (महाराणा सांगा के पिता) के समय में 1483 ईस्वी में हुवा था| ऊँची जगती पर स्थित इस भव्य अद्भत जी के मंदिर में प्रवेश हेतु तीन अर्धमंडप युक्त प्रवेश द्वार है अलंकृत स्तंभों युक्त रहे अर्धमंडप वर्तमान में खण्डित हो चुके है | विशाल सभामंड़प का शिखर भी नष्ट हो चूका है| अंतराल के आगे स्थित गर्भगृह के तल में शिवलिंग स्थापित है तथा शिवलिंग के पीछे दीवार में शिव की विशाल त्रिमुखी मूर्ति शिल्पांकित है जो समिधेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थित त्रिमुखी शिव की मूर्ति तथा एलिफेंटा की गुफाओं में स्थित मुख्य मूर्ति जैसी ही प्रतीत होती है तथा नीचे की तरफ विष्णु जी की चतुर्भुज स्वरुप वाली छोटी मूर्ति प्रतिष्ठित की गई है| मंदिर की बाह्य दीवारों पर किये गए मूर्तियों के कलात्मक तक्षण को देखकर आप अभिभूत रह जायेंगे| शिव के विभिन्न स्वरूपों को तथा अप्सराओं की नृत्य मुद्राओं को अत्यंत सजीव तरीके से उकेरा गया है| मंदिर के सम्मुख नदी की प्रतिमा भी अवश्य रही होगी|इस मंदिर को देखने के लिए एक दिन का भी समय कम है|
डॉ श्री कृष्ण जुगनू के अनुसार इस मंदिर का शिल्पी हरदास था जिसका नाम एक मूर्ति के नीचे खुदा है । जुगनू जी के अनुसार ये मंदिर अपूर्ण रह गया था। मंदिर का निर्माण महाराणा रायमल के समय प्रारम्भ हुवा किन्तु महाराणा सांगा के बाबर के साथ युद्ध मे संलिप्त हो जाने के कारण तथा बाद में मेवाड़ की निरंतर अस्थिर राजनीति स्थिति के कारण मंदिर निर्माण अधूरा ही रह गया। अद्भुत जी के मंदिर के पास ही प्राचीन गजलक्ष्मी जी का और विष्णु जी का मंदिर स्थित है| इस मंदिर में आने पर आपको ऐसा लगेगा की मानो यहाँ समय थम चूका है और आप उसी दौर में पहुँच जायेंगे जब ये मंदिर बना होगा| चित्तौड़गढ़ दुर्ग के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है अद्भुत जी का मंदिर, जब भी चित्तौड़ आइयेगा इसे देखना मत भूलियेगा| जय जय ........... शरद व्यास
https://www.youtube.com/watch?v=DnBkOJsLK3c
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