कुकड़ेश्वर महादेव मंदिर - चित्तौड़गढ़
चीनी यात्री ह्वेनसांग के इस "चिकिटो" नगर को जितना देखता हूं उतना चकित होता जाता हूं। मेरी इतनी जबर उत्कंठ इच्छा है कि कही कोई टाईम मशीन मिले तो मैं भी 8 वी से 14 वी सदी के #चिकिटो नगर की सैर कर आऊ और ऊपर से ये इच्छा और है कि इस विमान रूपी नगर को ऊपर से देखु इसके फोटोग्राफ्स खींचू।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में रामपोल द्वार के अंदर बाई और एक प्राचीन जलाशय है जिसे कुकड़ेश्वर तालाब कहते है उसी के ऊपर बना है कुकड़ेश्वर मंदिर। डॉ श्री कृष्ण जुगनू जी के अनुसार कर्नल जेम्स टॉड को राजा कुकड़ेश्वर का शिलालेख इस मंदिर के पास मिला था जिसका संक्षिप्त अनुवाद उसने अपनी पुस्तक में दिया है। जिसके अनुसार 8 वी सदी में चित्तौड़ पर राजा कुकड़ेश्वर का शासन था जो शिव भक्त था। उसने इस शिवालय का निर्माण करवाया और उसके नीचे की तरफ एक जलाशय और वाटिका का निर्माण करवाया था।यह कृत्य 755 ईसवी की वसंत पंचमी के दिन हुवा था। (पृष्ठ संख्या 126 मेवाड़ का प्रारंभिक इतिहास - डॉ श्री कृष्ण जुगनू)
वर्तमान में ये भव्य मंदिर आबादी क्षेत्र से घिर चुका है और एक संकरी गली में स्थित है किंतु जब आप इस मंदिर में प्रवेश करते है और इसके नीचे की तरफ स्थित कुकड़ेश्वर कुंड और सामने स्थित अन्नपूर्णा माता मंदिर और कुंड तथा सास बहू मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर को समग्र रूप से देखते है तो आपको इस मंदिर समूह और इस जगह की भव्यता और ऐतिहासिकता का भान होता है। बेतरतीब ढंग से बढ़ी आवासीय बस्ती के कारण मूल मंदिर और जलाशय छुप गए है।
कुकड़ेश्वर मंदिर के बाहर शिल्पांकित की गई मूर्तियों का शिल्प आपको अभिभूत कर देता है। विशाल और भव्य मंदिर तीन प्रवेश द्वार युक्त अलंकृत सभामंडप युक्त है। सभामंडप में मध्य में गर्भगृह की तरफ मुखांकित गणेश जी की विशाल प्रतिमा और नंदी विराजित है। अंतराल के आगे गर्भगृह के तल में विशाल शिवलिंग है जिसके पीछे संभवत विष्णु भगवान की तथा पार्श्व में देवी की मूर्ति विराजित है
मुख्य मंदिर के सामने एक समाधि है तथा पार्श्व में एक छोटा मन्दिर है जिसमे शिवलिंग विराजित है जिसके आधार में लेख खुदा हुवा है तथा गर्भगृह के बाहर पार्श्व में भी एक प्राचीन शिलालेख अंकित है जो संभवत इस मंदिर के जीर्णोद्धार से संबंधित है। मंदिर की बाह्य दीवारों पर शिल्पांकित अप्सराओ और नायिकाओ की मूर्तियों को इतना नापतोल और उभार कर बनाया गया है कि वो बरबस आपका ध्यान आकर्षित कर लेती है। मुख्य ताको में शिव भगवान, गणेश जी, कंकाली माता, त्रिविक्रम की मुर्तिया शिल्पांकित की गई है। चित्तौड़गढ़ आये तो इस मंदिर को अवश्य देखिएगा। जय जय .…...
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