जगदीश मंदिर
जगदीश मंदिर जिसे मूलत जगन्नाथराय का मंदिर भी कहते है का
निर्माण महाराणा जगतसिंह ने 1652 में करवाया था| 21 फूट ऊँची जगती पर और 151
गुणा 81 फुट के आयताकार जगती पर बने इस भव्य मंदिर को विष्णु पंचायतन शैली में
बनाया गया है| जगती पर मंदिर की 7 फुट पोने चार इंच ऊँची वेदी
निर्मित की गई है जिसका तलछंद श्रीधरी वेदी का है तथा वेदी का स्वरुप गजपीठ
का है|वेदी के ऊपर बना जंघा भाग तीन स्तरों में निर्मित किया गया
है या कहा जा सकता है की एक के ऊपर एक कुल तीन जंघाए बनायी गयी है|जिसमे स्त्री पुरुषो की आकृतिया तथा भगवान् विष्णु के अवतारों तथा चौबीस
स्वरूपों को शिल्पांकित किया गया है|इस प्रकार के जंघा या मंडोवर को मेरुमंडोवर कहा जाता है जो की
प्रासादों में निर्मित किया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ मंडोवर है|
मुख्य मंदिर की वेदी से शिखर तक की उंचाई 105 फीट है तथा जिसमे जगती की उंचाई जोड़ देने पर 126 फुट हो जाती है| मुख्य मंदिर पंचायतन शैली में निर्मित है जिसमे मुख्य मंदिर के चारो तरफ चार छोटे छोटे मंदिर अथवा देवकुलिकाये निर्मित है जो की क्रमश: ईशान कोण में उमा महेश्वर का ,आग्नेय कोण के प्रासाद में गणपति भगवान,नेरत्य कोण में सूर्य भगवान् का वायव्य कोण में देवी की प्रतिमा को समर्पित मंदिर है|मंदिर का गर्भगृह 9 गुणा 9 फीट का है जिसमे भगवान् विष्णु की मधुसुदन स्वरुप की 60 इंच ऊँची प्रतिमा प्रतिष्ठित है|गर्भ गृह और मंडोवर की दीवारों के मध्य 20 फुट 4 इंच लम्बाई का तथा 4 फुट 4 इंच चौड़ाई का आंतरिक प्रदक्षिणा मार्ग है जिसे अन्धारिका या अंतरप्रदक्षिणा मार्ग भी कहा जाता है|सम्पूर्ण मंदिर में कुल 100 स्तम्भ है| मुख्य मंदिर के सम्मुख भगवान् विष्णु के वाहन गरुड़ की प्रतिमा वाहन वेदिका पर अवस्थित है जो की गर्भगृह में विराजित भगवान् विष्णु की प्रतिमा के नाभी तक की उंचाई पर है|मुख्य मंदिर आज भी अपने सभी मूल अंगो अर्धमंडप,सभामंडप, अंतराल तथा गर्भगृह सहित सुरक्षित रूप से मौजूद है|( मंदिर के स्थापत्य सम्बन्धी तथ्य डा राजशेखर व्यास की पुस्तक मेवाड़ की कला और स्थापत्य से लिए गए है)
मुख्य मंदिर की वेदी से शिखर तक की उंचाई 105 फीट है तथा जिसमे जगती की उंचाई जोड़ देने पर 126 फुट हो जाती है| मुख्य मंदिर पंचायतन शैली में निर्मित है जिसमे मुख्य मंदिर के चारो तरफ चार छोटे छोटे मंदिर अथवा देवकुलिकाये निर्मित है जो की क्रमश: ईशान कोण में उमा महेश्वर का ,आग्नेय कोण के प्रासाद में गणपति भगवान,नेरत्य कोण में सूर्य भगवान् का वायव्य कोण में देवी की प्रतिमा को समर्पित मंदिर है|मंदिर का गर्भगृह 9 गुणा 9 फीट का है जिसमे भगवान् विष्णु की मधुसुदन स्वरुप की 60 इंच ऊँची प्रतिमा प्रतिष्ठित है|गर्भ गृह और मंडोवर की दीवारों के मध्य 20 फुट 4 इंच लम्बाई का तथा 4 फुट 4 इंच चौड़ाई का आंतरिक प्रदक्षिणा मार्ग है जिसे अन्धारिका या अंतरप्रदक्षिणा मार्ग भी कहा जाता है|सम्पूर्ण मंदिर में कुल 100 स्तम्भ है| मुख्य मंदिर के सम्मुख भगवान् विष्णु के वाहन गरुड़ की प्रतिमा वाहन वेदिका पर अवस्थित है जो की गर्भगृह में विराजित भगवान् विष्णु की प्रतिमा के नाभी तक की उंचाई पर है|मुख्य मंदिर आज भी अपने सभी मूल अंगो अर्धमंडप,सभामंडप, अंतराल तथा गर्भगृह सहित सुरक्षित रूप से मौजूद है|( मंदिर के स्थापत्य सम्बन्धी तथ्य डा राजशेखर व्यास की पुस्तक मेवाड़ की कला और स्थापत्य से लिए गए है)
गौरिहंकर हीराचंद ओझा अपनी पुस्तक उदयपुर राज्य का इतिहास
में लिखते है “ महाराणा जगत सिंह ने लाखो रुपये व्यय करके अपने नाम से जगन्नाथराय
(जगदीश)का भव्य विष्णु का पंचायतन मंदिर बनवाया |यह मंदिर गुगावत पंचोली कमल
के पुत्र अर्जुन की निगरानी और भंगोरा गोत्र के सूत्रधार (सुथार) भाणा और उसके
पुत्र मुकुंद की अध्यक्षता में बना| उक्त मंदिर की प्रतिष्ठा
चैत्रादि विक्रम संवत १७०६ वैशाखी पूर्णिमा (श्रावणादि १७०८ इसवी संवत 1652 ता 13
मई, गुरूवार) को बड़े समारोह और व्यय के साथ हुई|इस अवसर पर हजारो गाये,सोना,घोड़े,
आदि और 5 गाँव ब्राह्मणों को दिए गए| मंदिर बनाने वाले सूत्रधार
भाणा और उसके पुत्र मुकुंद को सोने और चांदी के गज तथा चित्तौड़ के पास एक गाँव
मिला| इस मंदिर की विशाल प्रशस्ति की रचना कृष्णभट्ट ने की|” इन सारे तथ्यों को जगन्नाथराय मंदिर की प्रशस्ति से लिया गया है|
दोस्तों जगदीश मंदिर का सम्पूर्ण विडिओ देखने के लिए कृपया नीचे दिए हुवे लिंक पर क्लिक करे।
https://www.youtube.com/watch?v=R4RlJKbZSlY&t=355s
जय जय .....शरद व्यास ....उदयपुर ....11.06.18
दोस्तों जगदीश मंदिर का सम्पूर्ण विडिओ देखने के लिए कृपया नीचे दिए हुवे लिंक पर क्लिक करे।
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जय जय .....शरद व्यास ....उदयपुर ....11.06.18
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