लांबा स्थित प्राचीन शिव मंदिर - जोधपुर
जोधपुर से बिलाड़ा जाने वाले मार्ग पर 65 किलोमीटर आगे बिलाड़ा पंचायत समिति के लांबा गांव में लूनी नदी के समीप प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। संभवतः नवी शताब्दी में निर्मित प्राचीन मंदिर भारतीय मंदिर वास्तु का अद्भुत नमूना है। मंदिर के जंघा भाग में बने प्रस्तर खंडों के फलक में पौराणिक देवी देवताओ का अद्भुत तक्षण किया हुवा है। मंदिर के गर्भ गृह के बाहर और अर्धमंडप की दीवारों पर भी सुंदर तक्षण है। मंदिर का विशालकाय अलंकृत सभामंडप और उसके स्तम्भो पर की गई नक्काशी और कीचक आधार देख कर आप मंत्रमुग्ध रह जाएंगे।मंदिर का शिखर का आधा भाग और आमलक आज भी सुरक्षित है। मुझे ये मंदिर रात में देखने का मौका मिला और कार की हेड लाइट के सहारे मोबाइल से फ़ोटो ले पाया इसलिए फोटोग्राफ्स उतने स्पष्ट नही है। वर्तमान में मंदिर जर्जर अवस्था मे है और इसका पार्श्व भाग पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। यधपि पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर को संरक्षित घोषित किया गया है मगर संरक्षण हेतु कोई कार्यवाही नही की गई है। मंदिर को तत्काल संरक्षण की जरूरत है अन्यथा ये कभी भी भरभरा कर गिर सकता है। मंदिर के चारो तरफ हो रहे अतिक्रमण और मनमाने निर्माण को तत्काल हटाने की जरूरत है।मुझे ये मंदिर ओसिया के हरिहर मंदिरों का समकालीन प्रतीत होता है और मंदिर पर तक्षण की गई देवी देवताओं की मूर्तियों से ये ओसिया के हरिहर मंदिरों की भांति प्रतिहार कालीन शिव मंदिर प्रतीत होता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार मंदिर के गर्भ गृह के शिवलिंग को गांव में स्थित अन्य मंदिर में स्थापित कर दिया गया है।अपने गांव ले जाकर मंदिर दिखाने के लिये मैं,श्री अनिल लोल, पर्यटक अधिकारी का आभारी हु।
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