जोधपुर नगर के पुराने दरवाजे
जोधपुर नगर के संस्थापक राव जोधाजी ने मंडोर के दुर्ग के असुरक्षित होने ,आक्रमणकारियों की सदैव विजय होने,राज्य की सुरक्षा, सामरिक दृष्टिकोण, बढ़ती आवश्यकताओ, स्वनाम कीर्ति को चिरकाल तक स्थायी रखने, तथा अपने पिता के ज्येष्ठ पुत्र नहीं होने के कारण असुरक्षा की भावना जैसे अनेक कारणों के चलते मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया तथा राजधानी को मंडोर से मेहरानगढ़ स्थानांतरित की। (स्रोत -मेहरानगढ़ - प्रो ज़हूर खां मेहर, डॉ महेंद्र सिंह नगर)
दुर्ग निर्माण के साथ दुर्ग की तलहटी में नगर बसाने का कार्य प्रारम्भ हुवा और प्रारंभिक नगर की सुरक्षा हेतु शहरपनाह का निर्माण करवाया गया और उसमे पोळ या दरवाजो का निर्माण करवाया गया। राव जोधाजी ने चार पोलों का निर्माण करवाया था जिनमे उत्तर दिशा में भागी पोल जो संभवत वर्तमान ब्रम्हपुरी क्षेत्र में स्थित थी, फुलेलाव की घाटी पर स्थित फुलेलाव की पोल, नवचौकिया से जूनी मंडी जाने वाले रास्ते स्थित सिंह पोळ तथा जूनी मंडी और तलहटी के महलो के समीप स्थित पोळ का निर्माण करवाया।
वर्तमान में भागी पोळ के सिवाय तीनो पोळ आज भी मौजूद है। इन प्राचीन पोल के संरक्षण और प्रचार की आवश्यकता है। इनके बाहर इनके इतिहास से सम्बंधित सुचना पट्ट लगवाए जाने की दरकार है।
परवर्ती काल में शहर विस्तार के चलते राव मालदेवजी ने शहरकोट और छह दरवाजे बनवाये जिनमे चांदपोल,सिवांची पोळ,जालोरी पोळ जो आज भी मौजूद है तथा सोजती पोळ,मेड़ती पोळ, नागौरी पोळ मालदेवजी ने अन्यत्र स्थानों पर बनवाई थी जिनके शहर का विस्तार होने के कारण और उपरोक्त पोलो के संभवत क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण परवर्ती शासको ने (महाराजा अभय सिंह) ने वर्तमान में मौजूद पोलों का निर्माण करवाया। महाराजा मानसिंह जी ने सूरसागर महलो हेतु मेहरानगढ़ दुर्ग के समीप सिंघोड़िये की बारी का निर्माण करवाया था। (स्रोत -मारवाड़ का पुरातत्व और स्थापत्य -डॉ महेंद्र सिंह तंवर )
आज इन ऐतिहासिक विरासतों के सार संभाल और पीढ़ी को इनके महत्व में समझने की जरुरत है और इन्हे अतिक्रमियो और मनमाने निर्माण कार्यो से बचाने की दरकार है।
शरद व्यास
जोधपुर - 02.08.2022
जूनी मंडी की पोळ
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