अचलनाथ मंदिर - जोधपुर
जोधपुर नगर के कटला बाजार और कपड़ा बाजार के मध्य तथा कुंजबिहारी जी के मंदिर के सम्मुख स्थित अचलनाथ या अचलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण मारवाड़ के शासक राव गांगा की रानी माणकदेवी ने विक्रम सम्वत 1588 की सुदी 5 को तदनुसार 21 मई 1531 को करवाया था। इस मंदिर के निर्माण के पीछे अनेक जनश्रुतिया प्रचलित है जिनके अनुसार राव गांगा को इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के आशीर्वाद के कारण अनेक वर्षो के उपरान्त संतान प्राप्ति हुई थी इसलिए राव गंगा की रानी ने शिवलिंग पर मंदिर का निर्माण करवाया था। अन्य जनश्रुति के अनुसार अनुसार इस शिवलिंग की अर्चना करने वाले महंत चैनपुरी जी को अपनी अंतर दृष्टी से जब ये ज्ञात हुवा की मारवाड़ नरेश राव गांगा की आयु काफी कम है तब उन्होंने तथा उनके दो घनिष्ठ साधुओ जिनमे से एक पुष्करणा ब्राह्मण संत थे और दूसरे मुसलमान फ़क़ीर थे, ने अपनी आयु में से राव गांगा को बीस -बीस वर्ष दे दिए जिससे राव गांगा दीर्धायु हुवे। जब राव गांगा को इस सम्बन्ध में ज्ञात हुवा तो उन्होंने कृतज्ञ भाव से इस मंदिर का निर्माण करवाया।
जनश्रुति के अनुसार मंदिर निर्माण के समय जब शिवलिंग को मूल स्थान से विस्थापित कर समीप स्थापित करने की आवश्यकता हेतु कामगारों द्वारा अनेक प्रयास करने पर भी शिवलिंग टस से मस नहीं हुवा और बाद में महंत चैनपुरी जी द्वारा शिवलिंग को अपनी जटाओ से बाँध कर खींचने का प्रयास किया गया मगर शिवलिंग नहीं हिला,अचल ही रहा और बाद में राव गांगा को स्वपन में ऐसी प्रतीति हुई की महादेव स्वयं उनसे कह रहे है की शिवलिंग को मत हिलाओ, जहा है वही रहने दो। तब जहां शिवलिंग स्थित था वही मंदिर का निर्माण किया गया।मंदिर एक बावड़ी का निर्माण भी करवाया गया था जिसे गंगा बावड़ी के नाम से जाना जाता है। मंदिर के खर्च के लिए रियासत की तरफ से मेड़ता में स्थित समडोलाव कलां गाँव की प्रदान की गई थी।
प्रारम्भ में यहाँ दो शिवलिंग थे जिनमे से दायी और अचलनाथ का और बायीं तरफ जागनाथ का तथा समीप प्राचीन पार्वती माता की मूर्ति स्थापित थी बाद में मंदिर के जीर्णोद्धार करवाने के दौरान माता पार्वती की प्रतिमा और जागनाथ महादेव का शिवलिंग इस शिवलिंग के सामने की तरफ स्थापित गए तथा अचलनाथ महादेव के शिवलिंग नर्बदेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित किया गया।
माता पार्वती की प्रतिमा और जागनाथ महादेव के शिवलिंग के समीप मंदिर के महंतो की समाधिया है। मंदिर परिसर में कुल 17 साधुओ की समाधिया निर्मित है जिनमे दुर्गापुरी जी, दौलतपुरी जी और चैनपुरी जी महाराज की समाधिया भी है। वर्तमान मंदिर के विकास और जीर्णोद्धार में नेपाली बाबा संत गौरीशंकर महाराज का खूब रहा।केरल के श्रृंगेरी मठ के अधीन इस मंदिर मठ का सञ्चालन होता है।
वर्तमान में मंदिर अत्यंत भव्य और अनेक मंजिलो युक्त बन चूका है। मंदिर में राम दरबार, रामदेवजी, नेपाली बाबा, पार्वती माता की भव्य मुर्तिया स्थापित है। मंदिर में स्थित धूणी के बाहर समस्त ज्योतिर्लिंग की अनुकृतियाँ भी निर्मित की गई है। (स्रोत -जोधपुर संभाग का जिलेवार सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अध्ययन -डॉ मोहन लाल गुप्ता तथा मारवाड़ का पुरातत्व और स्थापत्य -डा महेंद्र सिंह तंवर)
शरद व्यास
जोधपुर 03.08.2022
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