तीजा माताजी का मंदिर -जोधपुर
जोधपुर नगर के गिरदीकोट से कपडा बाजार जाने वाले मुख्य मार्ग पर दायी और भव्य तीजा माता का मंदिर स्थित है। ऊँची जगती पर बना ये मंदिर वास्तुशिल्प का अद्भत उदाहरण है। मंदिर के नीचे के तल में नक्काशीदार बेजोड़ प्रवेश द्वार निर्मित है जिसके बायीं और हनुमानजी तथा दायी और विनायक की आदमकद प्रतिमाये स्थापित है। तथा दोनों तरफ कोठरिया बनी हुई है जिनमे निजी दुकाने संचालित है। तोरणयुक्त प्रवेशद्वार से सीढिया चढ़ कर ऊपर जाने पर दो मंजिला मुख्य प्रवेश द्वार निर्मित है। स्थानीय घाटू के पत्थरो से निर्मित प्रवेश द्वार में महीन जालीदार नक्काशी का कार्य किया हुवा है जिसमे दोनों तरफ कलात्मक मोर निर्मित है। प्रवेश द्वार के ऊपर एक कक्ष निर्मित है जिसमे छह खिड़कियों तथा छतरी युक्त गोखड़ा निर्मित है जिसमे अद्भुत जालीदार नक्काशी गई है। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ सवार युक्त हाथी निर्मित है। प्रवेश द्वार के ऊपर बने कक्ष के तरफ अष्ट स्तम्भों युक्त कलात्मक छतरिया निर्मित है। प्रवेश द्वार में अंदर की तरफ आँगन निर्मित है जिसके दायी तरफ भव्य सभामंडप है जिसकी छत में बड़ी सुन्दर चित्रकारी की गई है जिसमे प्रभु श्री राम के जन्म से लेकर रामायण के अनेक प्रसंगो तथा कृष्ण लीला के सुन्दर चित्रांकन किये गए है। सभामंडप की दीवारों पर भी सोने के पानी का मुलम्मा चढ़ाया गया है तथा कांच की पच्चीकारी में विभिन्न चित्र जड़े गए है। भव्य मंडप में दो विशालकाय झूले रखे गए है। लकड़ी से निर्मित झूलो की नक्काशी और इन पर की गई कारीगरी की शोभा देखते ही बनती है। एक झूले में श्री राम सीता माता और हनुमान जी के साथ विराजित है तथा दूसरे झूले में श्री लक्ष्मण जी और उनकी धर्मपत्नी उर्मिलाजी विराजित है। जैसा की वहा निवास करने वाले श्रीमान ने बताया। मंदिर के गर्भगृह में राम दरबार विराजित है। प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से निर्मित है तथा जानकीजी और लक्ष्मण जी मुर्तिया संगमरमर से निर्मित है। मंदिर का शिखर भाग आज भी सही सलामत है। मंदिर के गर्भगृह के सामने की दीवार में बनी ताक में लक्ष्मी माता,अन्नपूर्णा माता,दक्षिणावर्त सूंडधारी विनायक और हनुमानजी की प्रतिमाये स्थित है। समीप ही विष्णु जी के वाहन गरुड़ जी की मूर्ति स्थापित है। एक तरफ हनुमान जी और चामुंडा माता की मुर्तिया स्थापित है। मंदिर का स्थापत्य, नक्काशी,चित्रकारी,कांच की पच्चीकारी और रंगो का अद्भुत संयोजन तथा मंदिर का वातावरण आपको मंत्रमुग्ध कर देता है। वर्तमान में मंदिर के सामने एक होटल संचालित है।
मंदिर का निर्माण मारवाड़ के शासक महाराजा मान सिंह जी (1804 -1843 ईसवी ) की तीसरी रानी भटियाणी प्रताप कुँवरी जी ने करवाया था। रानी साहिबा प्रभु श्री राम की अनन्य भक्त थी और उच्च कोटि की कवियत्री थी। उन्होंने राम भक्ति से सम्बंधित सैकड़ो पदों की रचना की थी। 1843 ईसवी में महाराजा के स्वर्गवास के उपरान्त बखत सिंह जी राजगद्दी पर आसीन हुवे तथा रानी साहिबा प्रताप कुंवरी जिन्हे राजमाता तीजा माताजी के नाम से पुकारा जाता था पूर्णत ईश्वर आराधना में लीन हो गई। महाराजा के स्वर्गवास के छह वर्ष उपरान्त आने वाले चंद्र ग्रहण के अवसर पर दान पुण्य के संकल्प से राज माता तीजा माताज़ी ने गुलाब सागर की पाल पर एक मंदिर का निर्माण करवाया जिसमे राम दरबार की मुर्तिया जयपुर से मंगवा कर प्रतिष्ठित करवाई गई। मंदिर की प्रतिष्ठा में नागौर से निरंजनी सम्प्रदाय के महंत मोतीराम को रथ भेज कर बुलवाया तथा उन्हें ये मंदिर दान किया गया। किन्तु मंदिर थोड़े समय के उपरान्त ही तालाब की तरफ धंस गया। अपना संकल्प खंडित होता देख कर तीजा माताजी ने एक पुष्करणा ब्राह्मण चतुर्भुज की भूमि जो गिरवी रखी हुई थी उसे 2101 बिजयशाही चांदी के कलदार देकर ख़रीदा और एक लाख चांदी के सिक्को के खर्च से आठ वर्ष की समयावधि में इस मंदिर का निर्माण करवाया। आषाढ़ सुदी 3 ,विक्रम सम्वत 1914 तदनुसार ईस्वी सम्वत 1857 में इस मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा हुई जिसमे शहरवासी और राजमाता तीजा माताजी और महाराजा बखत सिंह जी सम्मिलित हुवे। राजमाता और महाराजा साहब तीन दिन तक मंदिर परिसर में रहे। मंदिर के खर्च हेतु महाराजा ने बावड़ी गाँव की दो सौ बीघा तथा वर्तमान पाली जिले के ढेंढा गाँव की दो सौ बीघा भूमि भेट की तथा मंदिर में फल चढाने हेतु मंडोर के एक माली को 300 चंडी के कलदार देकर आम का वृक्ष ख़रीदा गया।
गुलाब सागर स्थित श्री राम जी का मंदिर अब प्रतापेश्वर महादेव के मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गया है तथा आज भी उसके धसे हुवे गर्भ देखा जा सकता है। गर्भ गृह में विशालकाय शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के सामने एक बावड़ी भी निर्मित है।
शरद व्यास
जोधपुर 07.08.2022
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